बारिश में एक खुशबू है...
सौंधी सी
हलकी सी
जिसमे कोई मिलावट नहीं
वो खुशबू
जो बचपन
में भी सौंधी सी थी,
हलकी सी
बिना किसी मिलावट के
वो खुशबू
मुझे बचपन में लिखी
एक कविता की याद दिलाती है
"छल-छल करता, कल-कल करता
बरस रहा है बूँदा मोटा,
बूँद-बूँद को तरसे जीवन
जीवन का ये पहलू खोटा"
वो खुशबू
मुझे मेरे
बचपन की याद दिलाती है
वो खुशबू
मुझे उस नाव की
याद दिलाती है
जो मैं होमवर्क की कॉपी से
कागज़ फाड़ कर बनाता था-
जिसे मैं मोहल्ले के
छोटी सी नाली में
दौड़ाता था
जिसे दूर जाता देखता था
देर तलक
वो खुशबू
मुझे एहसास दिलाती है
कि मेरी
होमवर्क कॉपी की नाव
अब बड़ी हो गयी है
अब जहाज़ बन गयी है-
अब वो एक समुन्दर में
गोते लगाती है
वो खुशबू
मुझे मेरे घर की याद दिलाती है
वो खुशबू
मुझे मेरे आँगन की याद दिलाती है
देखो ना,
आज कितनी तेज़ बारिश हुई दिल्ली में!
सौंधी सी
हलकी सी
जिसमे कोई मिलावट नहीं
वो खुशबू
जो बचपन
में भी सौंधी सी थी,
हलकी सी
बिना किसी मिलावट के
वो खुशबू
मुझे बचपन में लिखी
एक कविता की याद दिलाती है
"छल-छल करता, कल-कल करता
बरस रहा है बूँदा मोटा,
बूँद-बूँद को तरसे जीवन
जीवन का ये पहलू खोटा"
वो खुशबू
मुझे मेरे
बचपन की याद दिलाती है
वो खुशबू
मुझे उस नाव की
याद दिलाती है
जो मैं होमवर्क की कॉपी से
कागज़ फाड़ कर बनाता था-
जिसे मैं मोहल्ले के
छोटी सी नाली में
दौड़ाता था
जिसे दूर जाता देखता था
देर तलक
वो खुशबू
मुझे एहसास दिलाती है
कि मेरी
होमवर्क कॉपी की नाव
अब बड़ी हो गयी है
अब जहाज़ बन गयी है-
अब वो एक समुन्दर में
गोते लगाती है
वो खुशबू
मुझे मेरे घर की याद दिलाती है
वो खुशबू
मुझे मेरे आँगन की याद दिलाती है
देखो ना,
आज कितनी तेज़ बारिश हुई दिल्ली में!
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