अंतहीन सफ़र

जब ख्वाब सारे
पंख फैलाने लगे
अंतिम दो साँस
नींदें चुराने लगे
नीला जब पड़
चुका हो बदन

तब तुम आ जाना
पास मेरे
जब आँखें मेरी
अंतिम करवट ले
तब तुम रहना
पास मेरे
जब दुनिया सारी
रोएगी
तब हाथ पकड़
उड़ लेंगे हम
मद्धम मद्धम
नील गगन

-27.04.2014

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