तुमसे बात करता मैं

रात बनके आएगी
मुझे साथ ले जाएगी
तेरी परछाई में मैं बैठूँगा
तुझको सुनूँगा, सुनाऊँगा
मैं साँझ सा खो जाऊँगा

रे मैं नदी
तू समंदर सी
रे मैं सपना
तू रात मेरी
तारा मैं
आसमान तू
जिस्म मैं
साँस तू

तू रात बनके आएगी
मुझे साथ ले जाएगी

मैं बच्चा सा रोता हूँ
तू लोरी है री
सुन के तुझे मुस्काता हूँ

रे मैं नदी
तू समंदर सी
मैं तुझमे ही समाता हूँ
मैं अंत तुझमे पाता हूँ...

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें